Monday, October 16, 2023

दुनियां को चाहोगे तो...

 

 जो दुनियां को चाहता है... उसके साथ ऐसा ही होता है 

हज़रत ईसा अपने एक शागिर्द को साथ लेकर किसी सफ़र पर निकले, रास्ते में एक जगह रुके और शागिर्द से पूछा कि

" तुम्हारी जेब में कुछ है ...?


शागिर्द ने कहा

" मेरे पास दो दिरहम हैं ... "


हज़रत ईसा ने अपनी जेब से एक दिरहम निकाल कर उसे दिया और फ़रमाया

" ये तीन दिरहम होजाएंगे, क़रीब ही आबादी है, तुम वहां से तीन दिरहम की रोटियाँ ले आओ ... "


वो गया और तीन रोटियाँ लीं, रास्ते में आते हुए सोचने लगा कि हज़रत ईसा ने तो एक दिरहम दिया था और दो दिरहम मेरे थे जबकि रोटियाँ तीन हैं, इन में से आधी रोटियाँ हज़रत ईसा खाएँगे और आधी रोटियाँ मुझे मिलेंगी, लिहाज़ा बेहतर है कि में एक रोटी पहले ही खाल लूं, चुनांचे उसने रास्ते में एक रोटी खाली और दो रोटियाँ लेकर हज़रत ईसा के पास पहुंचा ....


आपने एक रोटी खाली और इस से पूछा

" तीन दिरहम की कितनी रोटियाँ मिली थीं ...?


उसने कहा

" दो रोटियाँ मिली थीं, एक आपने खाई और एक मैंने खाई ... "


हज़रत ईसा वहां से रवाना हुए, रास्ते में एक दरिया आया, शागिर्द ने हैरान हो कर पूछा

" ऐ अल्लाह के नबी ...

हम दरिया उबूर कैसे करेंगे जबकि यहां तो कोई कश्ती नज़र नहीं आती ...?


हज़रत ईसा ने फ़रमाया

" घबराओ मत, मेमैं आगे चलूँगा तुम मेरी अबा का दामन पकड़ कर मेरे पीछे चलते आव ,ख़ुदा ने चाहा तो हम दरिया पार करलेंगे .... "


चुनांचे हज़रत ईसा ने दरिया में क़दम रखा और शागिर्द ने भी उनका दामन थाम लिया, ख़ुदा के इज़न से आपने दरिया को इस तरह पार कर लिया कि आपके पांव भी गीले ना हुए ...


शागिर्द ने ये देखकर कहा

" मेरी हज़ारों जानें आप पर क़ुर्बान ...

आप जैसा साहिब-ए-एजाज़ नबी तो पहले मबऊस ही नहीं हुआ ... "


आपने फ़रमाया

" ये मोजिज़ा देखकर तुम्हारे ईमान में कुछ इज़ाफ़ा हुआ ...?


उसने कहा

" जी हाँ ...

मेरा दिल नूर से भर गया ... "


फिर आपने फ़रमाया

" अगर तुम्हारा दिल नूरानी हो चुका है तो बताओ रोटियाँ कितनी थीं ...?


उसने कहा

" हज़रत रोटियाँ बस दो ही थीं ... "


फिर आप वहां से चले, रास्ते में हिरनों का एक ग़ोल गुज़र रहा था, आपने एक हिरन को इशारा किया, वो आपके पास चला आया, आपने ज़बह कर के उस का गोश्त खाया और शागिर्द को खिलाया।

जब दोनों गोश्त खा चुके तो हज़रत ईसा ने इस की खाल पर ठोकर मार कर कहा

" अल्लाह के हुक्म से ज़िंदा हो जा ... "


हिरन ज़िंदा हो गया और चौकड़ीयां भरता हुआ दूसरे हिरनों से जा मिला ...


शागिर्द ये मोजिज़ा देखकर हैरान हो गया ओ कहने लगा

" अल्लाह का शुक्र है जिसने मुझे आप जैसा नबी और मुअल्लिम इनायत फ़रमाया है ... "


हज़रत ईसा ने फ़रमाया

" ये मोजिज़ा देखकर तुम्हारे ईमान में कुछ इज़ाफ़ा हुआ ...?


शागिर्द ने कहा

" ए अल्लाह के नबी ...

मेरा ईमान पहले से दोगुना हो चुका है ... "


आपने फ़रमाया

" फिर बताओ कि रोटियाँ कितनी थीं ...?


शागिर्द ने कहा

" हज़रत रोटियाँ दो ही थीं ... "


दोनों रास्ता चलते गए कि क्या देखते हैं कि एक पहाड़ी के दामन में सोने की तीन ईंटें पड़ी हैं


आपने फ़रमाया

" एक ईंट मेरी है और एक ईंट तुम्हारी है और तीसरी ईंट उस शख़्स की है जिसने तीसरी रोटी खाई .... "


ये सुनकर शागिर्द शर्मिंदगी से बोला

" हज़रत तीसरी रोटी मैंने ही खाई थी ... "


हज़रत ईसा ने उस लालची शागिर्द को छोड़ दिया और फ़रमाया

" तीनों ईंटें तुम ले जाओ ... "


ये कह कर हज़रत ईसा वहां से रवाना हो गए और लालची शागिर्द ईंटों के क़रीब बैठ कर सोचने लगा कि इन्हें कैसे घर ले जाये ...


इसी दौरान तीन डाकू वहां से गुज़रे उन्होंने देखा, एक शख़्स के पास सोने की तीन ईंटें हैं, उन्होंने उसे क़तल कर दिया और आपस में कहने लगे कि ईंटें तीन हैं और हम भी तीन हैं, लिहाज़ा हर शख़्स के हिस्से में एक एक ईंट आती है, इत्तिफ़ाक़ से वो भूके थे, उन्होंने एक साथी को पैसे दीए और कहा कि शहर क़रीब है तुम वहां से रोटियाँ ले आव, उस के बाद हम अपना अपना हिस्सा उठा लें गे, वो शख़्स रोटियाँ लेने गया और दिल में सोचने लगा अगर मैं रोटियों में ज़हर मिला दूं तो दोनों साथी मर जाएंगे और तीनों ईंटें मेरी हो जाएँगी, उधर उस के दोनों साथियों ने आपस में मश्वरा किया कि अगर हम अपने इस साथी को क़तल कर दें तो हमारे में हिस्सा में सोने की डेढ़ डेढ़ ईंट आएगी ...


जब उनका तीसरा साथी ज़हर-आलूद रोटियाँ लेकर आया तो इन दोनों ने मन्सूबा के मुताबिक़ उस पर हमला कर के उसे क़तल कर दिया, फिर जब उन्होंने रोटी खाई तो वो दोनों भी ज़हर की वजह से मर गए, वापसी पर हज़रत ईसा वहां से गुज़रे तो देखा कि ईंटें वैसी की वैसी रखी हैं जबकि उनके पास चार लाशें भी पड़ी हैं, आपने ये देखकर ठंडी सांस भरी फ़रमाया :

" दुनिया अपनी चाहने वालों के साथ यही सुलूक करती है ... "

(वल्लाह तआला आलम

(अनवार नोमानीया स३५३


ये है दुनिया और इस की मुहब्बत जिसके लिए मेमैं और आप दिन रात एक, दूजे से सबक़त ले जाने के लिए बेताब हुए जा रहे हैं और दरअसल ये हमें पल, पल मौत से क़रीब किए जा रही है ....


वक़्त मिले तो इस पहलू पर सोचिएगा ज़रूर ...

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